मेरे पापा कंपनी के काम से पन्दरह दिन के लिए बंगलुरु गए है, मेरे घर भागलपुर है, घर में मैं मेरी माँ और मेरी मौसेरी बहन नैना रहती है, नैना दीदी की उम्र उम्र २३ साल है, वो मेरे यहाँ एक महीने के लिए रहने आई है क्यों की उनके कॉलेज की छुटियाँ चल रही है इस वजह से.गर्मी के दिन में हमलगो छत पे ही सोते है माँ दीदी और मैं साथ ही छत पे सोते है एक बड़ा सा विस्तार है उसी पे, नैना दीदी काफी मदमस्त किस्म की लड़की है भगवन ने बड़े ही फुर्सत में उनको बनाया है, कमाल की सेक्सी फिगर है उनका, जब से वो आई है पता नहीं कितना बार मूठ मार चूका है, उनके गोल गोल गांड और टाइट बड़ी बड़ी चूचियाँ को देख कर तो मैं होशो हवश खो देता था, जब भी उनके बारे में सोचता या तो उनको देखता मेरा लंड नाग की तरह फुफ्करने लगता, मेरा लंड तो बूब को देखते ही नाचने लगता.
एक दिन की बात है मैंने सोचा मुझे अपने नैना दीदी पे हाथ साफ़ कर ही देना चाहिए, रात को जब माँ और दीदी दोनों सो गयी तब मैं नैना दीदी के करीब आ गया और धीरे से उनके पेट को सहलाने लगा, और धीरे धीरे उनके बूब को भी टच कर देता, फिर मूठ मार के सो जाता, दो तीन दिन तो यही सब किया पर एक दिन मैंने सोच लिया की आज तो छूट को टच कर के ही रहुगा, जब दोनों सो गयी तब फिर मैं नैना दीदी के समीप गया और बूब को टच किया फिर मैंने उनके कुरता को ऊपर कर दिया उसके बाद उनके पेट को सहलाया और फिर सलवार का नाड़ा खोल दिया
फिर मैंने हिम्मत कर के सलवार के अंदर हाथ डाला दीदी उस समय गहरी नींद में थी, मैंने देखा की दीदी अंदर पेंटी पहनी थी, मैंने धीरे से पेंटी के अंदर भी हाथ डाला तो चूत काफी गरम था और चूत पे बहुत सारे बाल था मैंने धीरे धीरे दीदी की चूत को सहलाने लगा और एक हाथ से अपना लंड निकाल के, लंड पे थूक लगाया (गिला किया) और मूठ मारने लगा, करीब मैंने झड़ने ही बल था की दीदी मेरे हाथ पकड़ ली, इस विच मेरा वीर्य भी निकल गया और सारा वीर्य दीदी के पेट पे पिचकारी के तरह चला गया, दीदी ने हाथ लगायी और बोली ये क्या किया तूने |मैं काफी डर गया मेरे तो पसीने निकलने लगे, मैं डरते डरते बोला दीदी मुझे माफ़ करना फिर कभी ऐसा नहीं होगा मैं अब थोड़ा दूर और अलग विस्तार से सो जाऊंगा, पापा को मत कहना, मुझे काफ करना, इतना सुनते ही दीदी ने मुझे साइन से लगा लिया, बोली चल आज के लिए तुम्हे माफ़ कर देती हु,
कोई गर्ल फ्रेंड है? मैंने कहा नहीं मेरी कोई भी गर्ल फ्रेंड नहीं है. फिर दोनों चुपचाप सो गए. फिर भी मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। सुबह हुई तो मैं उनसे नजरें नहीं मिला पा रहा था। लेकिन वो अब मुझसे ज्यादा ही खुल गई थीं, वो अब मुझसे हंसी-मजाक ज्यादा करने लगी थीं। वो अब जानबूझ कर खुद को मेरे जिस्म से रगड़ देती थीं जिसमें मुझे मजा तो आता था लेकिन मैं अब भी कुछ भी करने से डरता था। फिर 4-5 दिन ऐसे ही निकल गए सिर्फ मूठ ही मारा करता था ।
एक दिन की बात है मम्मी दो दिन के लिए मामा के घर चली गईं। क्यों की वह शादी था अब घर पर बस मैं और दीदी ही रह गए थे।जिस दिन मम्मी गयी उस दिन शाम को दीदी ने जल्दी खाना बनाया, हम दोनों ने मिल कर खाना खाया। उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। वारिश होने की वजह से छत पे नहीं गए थे कमरे में ही पलंग था उसी पर सो गए था. उस दिन नैना दीदी ने एकदम पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनका पूरा चिकना सा बदन एकदम साफ-साफ दिख रहा था। वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं। वो बिस्तर पर बड़ी ही लापरवाही से लेट गईं जिससे उनकी नाइटी उनकी जांघों से भी ऊपर तक सरक गई थी और उनकी चिकनी नंगी
जांघें साफ दिख रही थीं। मेरा तो माथा थानक गया था उनकी आँखें बंद थीं। आज मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे। पर मैं भी उस दिन थोड़ा सेक्सी मूड में था मैंने भी थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए उनकी नंगी जाँघों पर अपना हाथ रखा और सहलाने लगा।वो अभी भी वैसे ही लेटी थीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैंने अपना हाथ थोड़ा और ऊपर सरकाया तो पता चला कि आज उन्होंने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैं तो बहुत ही खुश हुआ और मुझे अब पक्का यकीन हो गया था कि वो भी वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ यानी की मैं चोदना और दीदी चुदवाना। अब मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। मैंने अब उनकी नाइटी उतारने की कोशिश की तो उन्होंने भी अपने बदन को उठा कर मेरी सहायता की और मैंने उनके नाइटी को उतार दिया । लेकिन उनकी आँखें अभी भी बंद थीं, शायद ये भाई-बहन के रिश्ते की वजह से लज्जा भाव था.. जिसे वो भुला नहीं पा रही थीं मैंने भी उस चीज़ का सम्मान किया । जैसे ही उनकी नाइटी उनके बदन से अलग हुई.. मैं तो दंग रह गया। आज उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी उनका दीदी की नंगा चिकना बदन मेरे सामने था, मैं तो देखते ही पागल हो गया। आप ये चुदाई कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है |
फिर क्या था मेरा लंड टनटनाने लगा। मैं सीधे ही दीदी की बड़ी-बड़ी रसीली चूचियों पर टूट पड़ा। मैंने उनका एक बूब को मुँह में भर लिया और दूसरे को अपने हाथ से मसलने लगा दीदी गरम होने लगी | उसके बाद वो तो मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं। उनका एक मेरे बालों में और दूसरा हाथ मेरे लंड पर था.. जिसे वो मसल रही थी। हम दोनों ही आनन्द के सागर में गोते लगा रहे थे। और मेरा नाग बाबा फुफकार रहा था | अब वो एकदम से उठीं और मेरे लंड को चूसने लगीं। कुछ ही देर में हम दोनों ही 69 की दशा में आ गए थे।और एक दूसरे को चूसने लगे मेरा लंड उनके मुँह में था और दीदी की चूत मेरे मुँह में थी। मैं बीच-बीच में उनके दाने को काट लेता तो वो तड़प उठतीं। हम दोनों ही एक बार तो इसी स्थिति में झड़ गए। फिर भी मैं उनकी चूत चाटे जा रहा था। उनके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगी थीं- अब और मत तड़पाओ मुझे जान.. डाल दो अपना लंड… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो अपनी बहन क़ी चूत का भोसड़ा… बन जा बहनचोद…चोद दे मुझे… शांत कर दे अपने बहन को |मैंने भी अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और पेल दिया अपना मूसल अपनी ही बहन क़ी ओखली में.. फिर जो धक्कों का दौर चालू हुआ वो जब तक
पसीना पसीना नहीं हो गया तब तक नहीं थमा | इस बीच मेरी दीदी 3 बार झड़ चुकी थीं। अंत में मेरे लंड से जो वीर्य क़ी धार निकली.. उससे उनकी चूत लबालब भर गई। उनके चेहरे पर अब संतुष्टि के भाव थे। बाद में उन्होंने मुझे बताया कि वो पहले भी अपने ब्वॉय-फ्रेंड से और एक बार वो अपने टीचर से चुद चुकी हैं। लेकिन जो मजा उन्हें मेरे साथ आया वो पहले नहीं आया क्योंकि उनके ब्वॉय-फ्रेंड का लंड छोटा और पतला है। और टीचर का छोटा था.उसके बाद जब तक मम्मी घर नहीं आईं.. तब तक हमने जम कर चुदाई की ऐसा एक दिन भी नहीं गया जिस दिन हम दोनों ने चुदाई नहीं की । आज भी हमें जब मौका मिलता है तो हम कभी नहीं चूकते। दोस्तो, यह मेरी दीदी की चुदाई कहानी है जो एकदम सत्य है।आपको ये दीदी की चुदाई कहानी कैसी लगी प्लीज रेट करें